प्रश्न 1. नीतिशास्त्र
उत्तरमनुष्य के आचरण, ऐच्छिक कर्मों के उचित-अनुचित अथवा शुभ-अशुभ मापदण्डों से संबंधित आदर्श मूलक विज्ञान नीतिशास्त्र है।
प्रश्न2. सत्यनिष्ठा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर नैतिकसिद्धान्तों की दृढ़ता, निर्दोष चरित्र, निष्पक्ष व्यवहार सत्यनिष्ठा कहलाता है।
प्रश्न3. स्वार्थवाद
उत्तर व्यक्तिगतकल्याण और हितों के लिए किया गया प्रयास स्वार्थवाद कहलाता है।
प्रश्न4. नीतिशास्त्र के आयाम
उत्तर मानकीय,व्यावहारिक/ अनुप्रयोगात्मक एवं अधिनीतिशास्त्र नीतिशास्त्र के आयाम हैं।
प्रश्न5. समानुभूति
उत्तर व्यक्तिके मूल्यांकन में मनस्थिति और भावनाओं का निरपेक्ष और तर्क युक्त अध्ययन समानुभूति कहलाता है।
प्रश्न6. सहिष्णुता से आप क्या समझते हंै? इसके लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर विरोधियोंके प्रति एक वस्तुनिष्ठ, न्यायोचित तथा सम्मानपूर्ण मनोवृत्ति के आधार पर तार्किक पक्षों का अनुसरण करते हुए उनके विचारों का सम्मान करना सहिष्णुता कहलताा है।
राजनीति और समाज के लोकतांत्रीकरण, मौलिक विचारों के विकास, चिंतन एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निरपेक्षता सम्मान और सद्भावना का विकास।
प्रश्न7. भावनात्मक बुद्धिमत्ता
उत्तर मानवीयभावनाओं को पहचानना, विश्लेषण करना तथा प्राप्त सूचना से चिन्तन तथा क्रियाओं को निर्देशित कर वैयक्तिक प्रकृति के भावनाओं के चिन्तन एवं विवेक का पूर्ण नियमितीकरण भावनात्मक बुद्धिमत्ता है।
प्रश्न8. भारत में प्रशासन मंे होने वाले नैतिकता के क्षरण के मुख्य कारण बताइए।
उत्तर संकीर्णहितों के लिए नैतिक मूल्यों का पतन, अपराधियों का राजनीतिकरण, काले धन का प्रयोग, गठबंधन की राजनीति, आचार संहिता का उचित क्रियान्वयन होना, स्थानान्तरण एवं नियुक्तियों में योग्यता के स्थान पर निष्ठा को तरजीह, भ्रष्टाचार में लिप्त होना, लाभ की चाहत, रिश्वत का प्रचलन, पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्वता का अभाव आदि प्रशासन में नैतिकता के क्षरण के कारण है।
प्रश्न9. सत्यनिष्ठा के लाभों का उल्लेख करें?
उत्तर विश्वसनीयतामें वृद्धि, राजनीति अथवा प्रशासन में सफलता की संभावना, आत्म संतोष में वृद्धि, बेहतर प्रदर्शन, कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों में विश्वास, सामाजिक परिवर्तन एवं अन्य मामलों में जनता का सक्रिय सहयोग, कल्याणकारी राज्य की प्राप्ति आदि सत्यनिष्ठा के लाभों के रूप में परिलक्षित होता है।
प्रश्न10. बेन्थम तथा मिल के विचारों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 1.मिल सुखों में परिणामात्मक तथा गुणात्मक दोनों भेद मानता है, जबकि बेन्थम केवल परिणामात्मक भेद ही
स्वीकार करता है।
2. मिल सामान्य सुखवाद के आधार पर व्यापकता को
स्थापित करता है, जबकि बेन्थम सुखकलन के तत्वों
द्वारा इसे स्थापित करता है।
3. नैतिक सुखवाद के समर्थन में मिल ने वस्तुओं की
दृश्यता एवं श्रव्यता के आधार पर सुख की वांछनीयता
का तर्क दिया है, जबकि बेन्थम ऐसा कोई तर्क नहीं देता।
प्रश्न11. काण्ट द्वारा प्रस्तुत कर्तव्य की परिभाषा को समझाइए।
उत्तर नैतिकनियम के प्रति सम्मान की भावना से प्रेरित होकर कर्म करने की अनिवार्यता ही कर्तव्य है। दया, सहानुभूति, उदारता आदि रचनात्मक संवेगों द्वारा प्रेरित कर्म प्रशंसनीय अवश्य हैं किन्तु मूल्यहीन हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी संवेग, इच्छा/प्रवृत्ति से प्रेरित होकर अपने कर्तव्य का पालन करता है तो कुछ समय पश्चात इनके अभाव में कर्तव्य की उपेक्षा भी कर सकता है।
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