प्रश्न 1. ब्रह्मदेय
उत्तर 1. प्राचीनकालमें ब्राह्मणों को धार्मिक कार्यों के बदले अनुदान में दी गई भूमि ब्रह्मदेय कहलाती थी। इस पर
किसी प्रकार का कर देय नहीं होता था।
प्रश्न2. डिक्की बर्ड प्लान
उत्तर 2. जूनयोजना से पूर्व लाॅर्ड बेटन की योजना जिसमें ‘भारत संघ’ अथवा भारत-पाक के रूप में दो डेमिनियन राज्यों की स्वतंत्रता से पहले प्रांतों को स्वतंत्र किया जाना प्रस्तावित था।
प्रश्न3. दीवान-ए-बंदगान
उत्तर 3. फिरोहशाह तुगलक के काल में दासों के कल्याण से संबंधित मामलों की देख-रेख हेतु स्थापित एक पृथक विभाग।
प्रश्न4. मार्कोपोलो
उत्तर 4. इटलीका यात्री जो चीन के कुबलई खान के दरबार में था, अपनी पुस्तक ‘द ट्रैवलर’ में उसने तमिल राज्य
(तंजौर के पाण्ड्य राज्यों) का वर्णन किया है।
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प्रश्न 5. क्या कारण है कि ब्रिटिश शासन काल में जमींदार राजस्व भू-भुगतान समय पर नहीं कर पाते थे?
उत्तर 5. करकी प्रारंभिक मांग अत्यधिक थी और ऐसे समय पर आरोपित किए गए थे जब कृषि उत्पादों की कीमत अधोमुखी थी। फलस्वरूप किसान जमींदार को भुगतान नहीं कर सकते थे और इस कारण जमींदार कंपनी को भुगतान नहीं कर पाते थे। कर संग्रह की विधियां भी अत्यधिक कठोर थीं। स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था ने किसानों से राजस्व वसूली में जमींदार की शक्तियों को सीमित किया।
प्रश्न6. भारत में ‘भीमबेटका‘ को एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल क्यों माना जाता है?
उत्तर 6. मध्यप्रदेश में भोपाल के 45 कि.मी. दक्षिण में स्थित रायसेन जिले में गुफाएं भीमबेटका के नाम से प्रसिद्ध
हंै। विशाल बलुआ पत्थरों में पांच प्राकृतिक गुफाएं अपनी मध्यपाषाण चित्रकला से ऐतिहासिक काल तक की
चित्रकला से प्रसिद्ध हैं। इसके पास स्थित गांव के इतिहास का यह गुफा चित्र एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रश्न7. अलाउद्दीन खिलजी की ‘बाजार सुधार नीति’
उत्तर 7. अलाउद्दीनखिलजी द्वारा कम वेतन पर विशाल शाही सेना रखने के कारण बाजार सुधार नीति को लाया गया। जिससे असन्तुष्टता जन्म ना ले और जमाखोरी जैसी कुप्रथाओं को हतोत्साहित किया जा सके। इस हेतु उसने विभिन्न विभागों की भी स्थापना की। जैसे:-
1. दीवान-ए-रसालतः व्यापारियों पर नियंत्रण अधिकार
2. शाहन-ए-मंडी: बाजार अधीक्षक
3. मुहतसिब: नाप-तौल अधीक्षक
प्रश्न 8. उत्तर वैदिक काल की सामाजिक व्यवस्था का परिचय दें।
उत्तर 8. उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित हो गई। जाति गोत्र व्यवस्था का प्रथम साक्ष्य इसी काल
से प्राप्त होता है। समाज पूर्णतः पुरुष प्रधान हो गया तथा महिलाओं की सर्वांगीण स्थिति में गिरावट हुई। उनकी शिक्षा प्राप्ति का निषेध हो गया। इसके अलावा उत्तर वैदिककाल में लोहे की खोज के परिणामतः कृषि का विकास हुआ। सभा, समिति का महत्व कम हुआ विदत नामक ऋग्वैदिक संस्था का पतन हो गया।
प्रश्न9. हड़प्पाकालीन लोगों की शवाधान की प्रक्रिया क्या थी?
उत्तर 9. सिंधुसभ्यता में अंत्येष्टि की तीनों विधियां प्रचलित थीं। समाधीकरण, आंशिक समाधीकरण एवं दाह संस्कार। शव सामान्यत: उत्तर दक्षिण दिशा में लिटा कर दफनाए जाते थे। (कालीबंगा में दक्षिण-उत्तर, लोथल में पूर्व- पश्चिम युग्म समाधियों के साक्ष्य भी मिले हैं। शवाधान ईंटों/पत्थरों से अस्तरित आयताकार/अंडकार गड्ढों में
किया जाता था।
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प्रश्न 1. आयात प्रतिस्थापन
उत्तर आयातप्रतिस्थापन विदेशी विनिमय बचत करने की वह रणनीति है जिसके द्वारा उन वस्तुओं के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाता है जिसका देश शेष विश्व से आयात करता है।
प्रश्न2. सीमान्त स्थायी सुविधा
उत्तर सीमांतस्थायी सुविधा से तात्पर्य केन्द्रीय बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को कम समय के लिए (12 घंटों के लिए) अपनी कुल निवल जमा का एक प्रतिशत देने की सुविधा से है।
प्रश्न3. आॅरोरा
उत्तर आॅरोरा(ध्रुवीय प्रकाश) प्राकृतिक प्रकाश पुंज है, जो ऊंचे अंक्षाशों वाले स्थानों (आर्कटिक-अंटार्टिका) पर सर्वाधिक दिखाई देता है। आॅरोरा का निर्माण सौर पवनों द्वारा चुंबकीय-वृत्त को पर्याप्त विक्षुब्ध करने से होता है।
प्रश्न4. मिस्ट्रल
उत्तर मिस्ट्रलसशक्त, ठंडी और उत्तर पश्चिमी हवाएं होती हैं। ये फ्रांस के दक्षिणी भाग से भूमध्यसागर में ‘लाॅयन की खाड़ी’ की ओर चलती हैं। ये सामान्यतः साफ मौसम के साथ चलती हैंै।
प्रश्न5. की-स्टोन प्रजाति
उत्तर पारिस्थितिकीमें एक प्रजाति जो उस समुदाय, जिसमें ये रहती है पर असंगत रूप से अधिक प्रभाव डालती है। इस प्रकार की जातियां अन्य प्रजातियों की जनसंख्या पर नियंत्रण करती हैं।
प्रश्न6. अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्ति अधिनियम-2015 के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करें।
उत्तर कालेधन से संबंधित आघोषित विदेशी आय और परिसंपत्ति अधिनियम-2015 के मुख्य बिंदु निम्न हैं:-
(i) कानून के प्रावधान अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियों (किसी भी इकाई में वित्तीय हित) दोनों पर लागू होंगे।
(ii) अघोषित विदेशी आय परिसंपत्ति पर 30 प्रतिशत की समान दर से कर लागू होगा।
(iii) मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 के तहत नुकसान को आगे ले जाने या छूट या कटौती की इजाजत नहीं होगी।